हालात का गम छोड़ दिया
सच को झुठलाने की हिम्मत भी कहाँ तक करते,
झूठे ख़्वाबों की हिफाज़त ही कहाँ तक करते,
कोई एहसास न जज़्बात न धड़कन उसमे,
एक पत्थर से मोहब्बत भी कहाँ तक करते।
झूठे ख़्वाबों की हिफाज़त ही कहाँ तक करते,
कोई एहसास न जज़्बात न धड़कन उसमे,
एक पत्थर से मोहब्बत भी कहाँ तक करते।
कह दिया दिल ने तो हालात का गम छोड़ दिया,
हम भला दिल से बगावत भी कहाँ तक करते,
ये तो अच्छा हुआ बाज़ार में आए ही नही,
हम उसूलों की हिफाज़त भी कहाँ तक करते….”
from- Meri Patrika